मंगल व वृहस्पति ग्रह के बीच में कई छोटे बडे पिण्ड पाये जाते हैं जिन्हे अवान्तर ग्रह कहते हैं।
574 मिनियन किमी. क्षेत्रा मे यह अवान्तर ग्रह पफैले हुए है जोकि सूर्य की परिक्रमा करते रहते हैं इनकी अनुमानित संख्या लगभग 40000 हैं।
इटली के खगोलशास्त्राी पियाजी ने सर्वप्रथम सिरस नामक अवान्तर ग्रह की खोज किया था, इसके बाद पलास (व्यास 500 किमी.) जूनो (व्यास-200 किमी.), वेस्टा (व्यास 400 किमी.) आदि की खोज हुई ।
विद्वानों का विचार है कि किसी समय यहां एक बडा ग्रह रहा होगा, जिसके टूट जाने से इन छोटे छोटे क्षुद्र ग्रहों का निर्माण हुआ।
क्या हैं अवान्तर ग्रह